Friday, March 6, 2009

पत्रकारिता में बढता बाज़ार


आज के सामाजिक परिवेश के साथ में बढता हुआ बाज़ार अब पत्रकारिता में भी साफ़ साफ़ नज़र आने लगा है हिन्दी के समाचार पत्रो को देखे या अंग्रेज़ी के समाचार पत्रों को दोनों में बाज़ार का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है लेकिन के हिन्दी समाचार पत्रों में अंग्रेज़ी के मुकाबले कम ही विज्ञापन मिलेंगे अंग्रेज़ी के अख़बारों में फिल्मों की समीक्षा से लेकर पेज थ्री पार्टी तक सब कुछ चपता है लेकिन साथ ही उसमे किसी उत्पाद की बिक्री को एक संचार बनने की कला भी होती होती अंग्रेज़ी के अख़बारों में बॉलीवुड के साथ साथ हॉलीवुड की प्रमुख खबरे भी छप जाती है हिन्दी के अखबारों की तरह अंग्रेज़ी के अख़बारों ने ख़ुद को केवल भारत तक सीमित नही किया है हिन्दी के अख़बारों में कभी कभार एक आत न्यूज़ छप जाती है जबकि अंग्रेज़ी अख़बारों के सुप्प्लेमेंतारी वाला आखिरी पेज ज़यादातर हॉलीवुड की खबरों से भरा होता है अगर हम दोनों अख़बारों में तुलना करें तो अंग्रेज़ी से ज़यादा हिन्दी के अख़बार की क्वालिटी ख़राब होगी हिन्दी के अख़बारों में चटपटी ख़बरों को बेचा जाता है वही अंग्रेज़ी में चटपटी ख़बरों की संख्या हिन्दी के मुकाबले कम होती है खैर इस तरह की ख़बरों से ख़ुद हिन्दी अख़बारों का लेवल भी घटने लगता है

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