हमारा देष में सभ्यता और संस्कृति की भरमार है।भारत प्रत्येक राज्य में कोई न कोई संास्कृतिक त्योहार अवष्य होतेे है।भारत में लाखों त्योहार मनाए जाते है।ऐसे ही आगरा भी है जिसे कुछ लोग केवल षाहजहा के ताजमहल के लिए ही आगरा को जानते है ।लेकिन मथुरा और वृंदावन से आगे स्थित आगरा मंदिरोत्सव और धार्मिकोत्सव के लिए भी उतना ही प्रसिद्व है। यहां पर दाउजी का मेला कंस लीला जट देवी मेला ग्वाल बाबला होली मिलाप कैलाष मेला काली का मेला आदि मनाए जाते है। इसके साथ यहां पर एक मेला सबसे अधिक प्रसिद्व है वो है षीतला देवी का मेला।यही मेला राजस्थान में भी चैत्र मास के कृश्ण पक्ष में मार्च और अप्रैल महीने में होता है। यह राजस्थान में जयपुर में लगता है। आगरा में यह मेला असाढ़ मास में लगता है।यह एक धार्मिक मेला है इसमें मुख्य रूप से षीतला माता की पूजा की जाती है। आगरा और मुंबई रोड पर स्थित षीतला माता के मंदिर में यह मेला लगता है। कईं साल पुराना यह मेला यमुना नदी के तटपर स्थित है। यह मेला मुख्य रूप से इसलिए प्रसिद्व है क्योंकि यहां पर लोग अपने बच्चों के बाल उतरवाने आते है।यहां पर लोग पूजा में हल्वा पूरी चढ़ाते है। लेकिन इसके अतिरिक्त इस मेले में पर्यटक दूर दूर से घूमने आते है। यह मेला एक स्थानीय सांस्कृतिक उत्सव है। वहां के स्थानीय लोगो ं की संस्कृति को यह उत्सव अपनी ओर आकर्शित करता है। यहां की कारीगरी कला संगीत भोजन भी पर्यटक को अपनी ओर आकर्शित करते है। इसके कारण लाखों का व्यापार हर साल किया जाता है।इस मेले के कारण ही एक बार लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता से परिचित हो जाते है।
Thursday, March 5, 2009
आगरा का मेला
हमारा देष में सभ्यता और संस्कृति की भरमार है।भारत प्रत्येक राज्य में कोई न कोई संास्कृतिक त्योहार अवष्य होतेे है।भारत में लाखों त्योहार मनाए जाते है।ऐसे ही आगरा भी है जिसे कुछ लोग केवल षाहजहा के ताजमहल के लिए ही आगरा को जानते है ।लेकिन मथुरा और वृंदावन से आगे स्थित आगरा मंदिरोत्सव और धार्मिकोत्सव के लिए भी उतना ही प्रसिद्व है। यहां पर दाउजी का मेला कंस लीला जट देवी मेला ग्वाल बाबला होली मिलाप कैलाष मेला काली का मेला आदि मनाए जाते है। इसके साथ यहां पर एक मेला सबसे अधिक प्रसिद्व है वो है षीतला देवी का मेला।यही मेला राजस्थान में भी चैत्र मास के कृश्ण पक्ष में मार्च और अप्रैल महीने में होता है। यह राजस्थान में जयपुर में लगता है। आगरा में यह मेला असाढ़ मास में लगता है।यह एक धार्मिक मेला है इसमें मुख्य रूप से षीतला माता की पूजा की जाती है। आगरा और मुंबई रोड पर स्थित षीतला माता के मंदिर में यह मेला लगता है। कईं साल पुराना यह मेला यमुना नदी के तटपर स्थित है। यह मेला मुख्य रूप से इसलिए प्रसिद्व है क्योंकि यहां पर लोग अपने बच्चों के बाल उतरवाने आते है।यहां पर लोग पूजा में हल्वा पूरी चढ़ाते है। लेकिन इसके अतिरिक्त इस मेले में पर्यटक दूर दूर से घूमने आते है। यह मेला एक स्थानीय सांस्कृतिक उत्सव है। वहां के स्थानीय लोगो ं की संस्कृति को यह उत्सव अपनी ओर आकर्शित करता है। यहां की कारीगरी कला संगीत भोजन भी पर्यटक को अपनी ओर आकर्शित करते है। इसके कारण लाखों का व्यापार हर साल किया जाता है।इस मेले के कारण ही एक बार लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता से परिचित हो जाते है।
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