Wednesday, January 28, 2009


१ जनवरी को एक नई मुहीम की शुरुआत की गयी थी जिसके हिसाब से बेवजह हार्न बजाना ग़लत होगा लगता है देश की जनता हर उस बाद कों विरोध करती है जिसे देश और समाज के लिए ही चलाया जाता है१ जनवरी के बाद से तो मुझे कुछ ज्यादा ही हार्न की आवाज़ सुनने कों मिली है आखी समझ नही आता की लोगो कों बेवजह हार्न बजाने में क्या मज़ा आता है

सिगरेट पर बैण्ड लग जाने पर भी सिगरेट पीना कम नही हुआ


सरकार ने बीच सड़क पर सिगरेट पीने वालो पर बैण्ड लगा दिया था लेकिन आज इतना समय हो गया लेकिन लोगो ने सिगरेट पीना बन्द नही कियाइतना ही नही सिगरेट पीने वाले बीच सड़क पर police के सामने भी सिगरेट का सेवन करते है लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नही होता कोई भी उनकेरोकता नही है ऐसा कानून का क्या फायदा जिसे न तो जनता इस्तमाल कर रही है और न ही पुलिस उन्हें रोकना छाती है कैसे यह बन्द हटेगा

गाँधी वादी विचारधारा


गाँधी नाम ऐसा है जिसे हम भूल नही सकते जिनके कोशिशों के कारन हमारा देश आजाद हुआ है आज कितने लोग है जो उन्ही की विचारधारा से सहमत है उनकी वही विचारधारा जिनके कारन देश को आज़ादी मिली क्या महात्मा गाँधी ने सोचा था की आज़ादी के बारसो बाद देश की यह हालत होगी जिस सपने को देख कर देश को आज़ादी दिलाई आज उस्सी देश की स्तिथि को देख कर रोना आता है राजनितिक नेता हो या फिर समाज सुधर के नाम पर अपनी जेब भरने वाले या फिर नौकरी देने की बात करते हुए देश में विदेशी पूंजी व्यवस्था को फैलाने वाले सभी का हाल एक सा ही है हमने हालही में २६ जनवरी बड़ी ही धूमधाम से मनाया लेकिन क्या वास्तव में हम यही स्वतंत्रता चाहते है क्या आज की गरीबी किसानों की यह हालत सामाजिक अव्यवस्था क्या ऐसी आज़ादी ही हमे चाहिए थी इसी की कल्पना गाँधी जी ने की थी आज कितने लोगो को गाँधी जी के विचार याद है कितने लोग इस पर अमल कर रहे है गाँधीजी को अगर हम सही रूप से याद करना चाहते है तो उनकी विचारधारा को देश और समाज पर अमल करना ज़रूरी है समाज से भेदको मिटाना और गरीबो के स्तर को ऊपर उठाने के लिए उनकी स्तिथि में सुधार करना ज़रूरी है

Thursday, January 22, 2009

आज भी वही माना गया है


टी वी को एक बेवकूफ डिब्बा कहा जाता था लेकिन कुछ ऐसे शो हालही में टी वी में आने लगे है जिनमे समाज की वास्तविकता दिखाने का प्रयास किया जाता है ऐसा एक शो है बालिका वधु इसमे समाज के ऐसे वर्ग के बारे में बताया गया है जो आज भी लड़कियों से जुड़ी सभी कुरीतियों पर आज भी उतना ही विश्वास रखते है इस धारावाहिक में लड़की का चोटी उमर में विवाह उसे शिक्षा न देना उसके विधवा हो जाने पर उसे अशुभ मानना इन सब दिखाया गया है उसे एक भोझ मानकर उसके साथ हमेशा दुर्वयवहार करना उसे हमेश एक बात ज़रूर कही जाती है की उसका घर यह नही है जहाँ उसने जनम लिया वोह नही है जहाँ उसकी शादी हुई वोह भी नही है इस दुविधा में हमेशा वोह रहती है इसी के स्थ कोलौर्स पर एक नया प्रोग्राम शुरू होने जा रहा है जिसका नाम है इस देश न आना मेरी लाडो इसमे लड़की को जनम होने में ही मार कर फेक दिया जाता है उसे एक भोझ समझा जाता है ऐसे में एक लड़की पर ही निरंतर आत्याचार होते है एक चीज़ सबसे बड़ी देखने को मिलती है की इन दोनों में राजस्थान को लाकर रखा गया है इसका जवाब ज़रूर जानना चाहूंगीक्या राजस्थान को दिखाने का यह कारन तो नही है की वही पर यह प्रथाएं ज्यादा हैlआदिकी को मात्र एक भोझ समझते है तो मई इस बात की पुष्ठी ज़रूर करना चाहूंगी की सबसे ज्यादा भू़ण हत्या बड़े शेहरो जैसे पंजाब दिल्ली भी होती है वैसे यह तो हकीकत ही है की राजस्थान में भी भू़ण हत्या की संख्या कुछ कम नही है जब वह पर कोई लड़की जनम लेती है तो कहा जाता है की बारात रखनी है या लौटानी है और अगर लौटानी है तो मतलब है की उसे लड़की को दूध से भरे मटके में डूबा कर मार दिया है पता नहीं की एक नवजात शिशु को कोई कैसे डूबा कर मार सकता हैइसी को लेकर सिनेमा में भी विषय बनाया गया है मातृ भूमि इसमे एक गाव में लड़कियों की कमी हो जाने से एक लड़की का विवाह पाँच भाइयो से करवाया जाता है लेकिन वह भी उसका शोषण होता है इसे लेकर कई फिल्में बने गयी जैसे वाटर में लड़की के विधवा और पुनर्विवाह की पुरी समस्या को लाकर खड़ा किया गया लज्जा में लड़की के अलग अलग रूपों को लाकर रखा गया हैख्रैर यह तो सच है की अभी भी कुछ परिवार में लड़कियों के महत्व को समझा नही गया तो वास्तव में लड़कियों की समाज में कमी हो जायेगी

Wednesday, January 21, 2009

चैनल में प्रोग्राम दिखाने की एक होड़


न्यूज़ चैनल में प्रोग्राम दिखाने की होड़ सी चल पड़ी है प्रोग्रममेस को बहुत ही अलग ढंग से पेश किया जा रहा है अपने को सर्वश्रेष्ठदिखाने के लिए बड़े ही अल्स्ग दंग से स्वयम को प्रस्तुत करते है हालही में मैंने एक न्यूज़ चैनल में प्रोग्राम देखा उसका टाइटल था हिमेश रेशमिया को गुस्सा क्यूँ आता है ?क्या वाकई में ऐसे प्रोग्रममेस की न्यूज़ चैनल को ज़रूरत है इसके बाद संभावना सेठ का दिल किस पर आया ?आख़िर यह सब कुछ क्या है ख़ुद को और अपने चैनल को अलग दिखने क्या दिखा रहे है ऐसे ही किसी भी क्राइम से जुड़ी खबरों को इस तरह से पेश करते है की सामने वाला उसे देख कर डर जाता है ऐसा लगता है जैसे किसी को डराया जाता है सामने वाला देखने वाला इसे डर जाता है की पता नही क्या आने वाला है यह कौन सा तरीका है किसी भी ख़बर को पेश करने का फिर भी उनके चैनल की तरप आसमान को छूती है इसके आलावा न्यूज़ काह्न्नेल में कॉमेडी चैनल को दिखाना उसे एन्तेर्तैन्मेंट चैनल का दर्जा ज़रूर दे देता है एकं अपने न्यूज़ चैनल के वजूद को खोता ही जा रहा है

चैनल में प्रोग्राम दिखाने की एक होड़

Thursday, January 15, 2009

भाषा की राजनीती


मुंबई एक जाना मन शहर है । सपनो की नगरी कहा जाने वाला शहर है । और मुंबई से भी पहले है हमारा देश जहा पर लाखो संस्कृति और सभ्यता का गहरा मेल देखने को मिलता है । इस बहु संस्कृति और सभ्यता के देश में अगर कोई राज्य यह कहाकी यहाँ पर किसी विशेष भाषा के व्यक्ति को आने का ही हक है तो तो यह क्या है हाल ही में मुंबई में मराठी भाषा vs हिन्दी भाषा का झगडा छेड़ दिया है पहले तो सिर्फ़ यही था की केवल मराठी भाषी को ही बड़ी अधिकारी की नौकरी करने का हक है अब एक और मुसीबत आ गयी है की मुंबई में केवल मराठी लोगो को ही घर लेने का अधिकार है इस तरह की सोच क्या सही है पहली प्रेफेरंस मराठियों को तो समझा जाना सकता है लेकिन केवल मराठियों के लिए इस तरह की भावना देश की ही अखंडता और एकता को चोट पहुचता है इस देश में सभी को यहाँ काम करने का घर लेने का हक है यही तो लोकतंत्र है इसकी अवमानना करना क्या सही है

दिल्ली की बात नयारी


दिल्ली है सबसे नयारा शहर । यह भारत की राजधानी तो है ही साथ ही केन्द्र में यही आती है । इसके आलावा भी दिल्ली कुछ है और वही आज बताना है। यह एक ऐसा शहर है जो यहाँ पर आने वाले हर एक को अपना लेता है। दिल्ली एक ऐसा शहर है जहा पर कई ऐतिहासिक इमारते मौजूद है एक और तो लाल पुराना किला हुमायु डीके मख्बरा कुटुंब मीनार साथ साथ इंडिया गेट कमल मन्दिर जंतर मंतर जैसी इमारते भी मौजूद है यह तो हुई घुमने की जगह लेकिन इसके आलावा यहाँ पर कई प्रसिद मन्दिर भी है । चांदनी चोक की छोटी गलियों के साथ जी के की पौष कोठियां भी है । यहाँ कोई भी एक संस्कृति और सभ्यता के लोगो नहीं रहते है यह एक ऐसा शहर है जहा जो भी आता है यह उसे अपना बनाती जाती है । कई सभ्यता वाले लोग यहाँ पर एक होकर रह सकते है कोई भी ऐसा त्यौहार नहीं है जो दिल्ली में न मानता हो यह ईद दिवाली गुरु पूर्व क्रिसमस सभी को बहुत ही धूम धाम से मन ता है । दिल्ली में आने वाले इसे अपना न सके लेकिन यह सभी को अपना बना लेते की ताकत है हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी एक साथ मिलकर कर खुशी से रहते हुए देखता है यही दिल्ली की खूबी है यहाँ पर मेट्रो के विकास के साथ झुगी झोपडी भी देखने को मिल जाती है खेर फिर भी कमियों के बावजूद भी दिल्ली तो दिल्ली ही है

Monday, January 12, 2009


म्यूजिक की दुनिया में एक नाम आज हाल ही के दिनों में चर्चा पर है वोह है ए आर रहमान ए र रहमान को फ़िल्म slumdog मिल्लिनियम के लिए के संगीत के लिए अवार्ड दिया गया है इन्होहे मणिरत्नम की फ़िल्म रोजा से अपने संगीत की शुरुआत की थी पहली बार ऐसा हुआ है की किसी भारतीय को गोल्डन ग्लोब पुरस्कार दिया गया है यह फ़िल्म जनवरी में भारत मैं slumdog करोड़पति के नाम से रिलीज़ होगी इस फ़िल्म के अवार्ड आज ए र रहमान की प्रसिदी में इजाफा ही हुआ है तथा इस अवार्ड से भारत का गौरव भी बड़ा है ए आर रहमान में हमे अनमोल संगीत दिया है

डी डी ए के घोटाले से आम आदमी की चाह धराशाही

आज एक ही ख़बर है जिसने आम आदमी की नींदे उदा रखी ही वोह है डी डी ए घोटाला इस घोटाले के के कारन जनता का सरकार सरकारी अधिकारीयों के उपर से विश्वास उठ गया है डी डी ए में घर लेने की तमना हर उस व्यक्ति की रही जिसके पास घर नही है लोगो ने इसी तमना में कई फॉर्म भरे नाम आने पर खुशी भी हुई लेकिन इस घोटाले ने उनकी तमना पर एक पूर्णविराम लगा दिया घोटाला तो सामने आ गया लेकिन इस पर उन लोगो की मुश्किलें बड़ गयी है जिनके नाम आए उनका कहना भी ग़लत नही है की यदि draw को रद्द कर दिया जाए तो उनके साथ भी कहीं न कहीं ना इंसाफी की जायेगी क्यूंकि इस घोटाले में उनकी क्या गलती है जब इस घोटले के आरोपी दीपक ने मीडिया को कही बात में कहा की उसने उदितराज इंडियन जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष को इस घोटाले के बारे में draw से दो माह पूर्व ही बता दिया था और सुरेश मीणा को पुलिस के हवाले भी किया गया इन सब के बाद भी पुलिस कुछ ख़ास कतम नही उठा पाई पुलिस की लह्परवाही के कारन आज इतने लोग दुविहा में फसे हुए है इन सब में उनका क्या कसूर उन्हें केवल पुलिस और अधिकारीयों की लह्परवाही की सज़ा ही भुगतनी पड़ेगी iस द्रव में कई नाम फर्जी थे यदि इस घोटाले को पहले ही पकड़ा जाता तो शायद इनमे उनके नाम आते जिनके वास्तव में ही आने चाहिये थे

Sunday, January 11, 2009

२००८ में दो को मिली uplabdhi


वर्ष २००८ की समाप्ति हो गयी और अपने साथ दो ऐक्ट्रेस की किस्मत भी लेकर आया है जिसके एक ओर है रब ne बना दी जोड़ी की अनुष्का शर्मा तो दूसरी ओर गजनी की असिन इन दोनों ने फ़िल्म इंडस्ट्री के मोस्ट पोपुलर ऐक्टर के साथ काम किया एक तरफ़ अनुष्का ने शारुख खान के साथ जोड़ी बने तो दूसरी ओर मिस्टर perfectionist आमिर खान के साथ जोड़ी बने दोनों ही साल के आख़िर की ब्लाक बस्टर हिट रही आगे इन दोनों की किस्मत बताएगी की कौन फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनने में सफल होई है पिछले साल २००७ की दीपिका पादुकोण ने अपने मुकाम को बनाया ओर पहली ही फ़िल्म में शारुख के सामने आकर अन्य ऐक्ट्रेस को टक्कर दी २००९ की आरम्भ में ही अक्षय के साथ चांदनीचौक टू चाइना दी खेर अब इस बात का फैसला अनुष्का और असिन पर है की वोह किस प्रकार अपना मुकाम बना पाएँगी













नए चेहरे पुरानो को भुला देते है


देश में आज फिल्मो का क्रेज बढता जा रहा है यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जहाँ पर कोम्पेतिशन दिन दिन मुश्किल होता जा रहा है २००८ में ऐसे कई चेहरे रहे जिन्होंने बहुत ही जल्दी प्रसिदी हासिल की इनमें मुख्य रूप सेकैटरीना कैफ करीना कपूर दीपिका पादुकोण साल के अंत में प्रियका चोपडा आधिक रही इनकी उपलब्धि बड़ी है जहाँ प्रियका चोपडा निरंतर फ्लॉप होने पर भी पिछले साल फैशन द्रोण और दोस्ताना जैसी फिल्मो से आगे रही वही दीपिका को ॐ शान्ति ॐ के कारन और निरंतर कोन्त्रोवेर्स्य में रहने से कई अच्छी फिल्मो का ऑफर मिला यह कुछ ऐसी ऐक्ट्रेस रही जिनकी चारो उँगलियाँ घी में और सर कडाई में रहा इनके आलावा भी कई ऐक्ट्रेस आई और वैसे ही चली भी गयी उन्हें कोई याद नही करता शायद इसका कारन लोगो में ऐक्ट्रेस की पब्लिसिटी के साथ उसका टॉप पर बना रहना भी है एक समय था जब काजोल करिश्मा रानी मुखर्जी प्रीटी जिनता मोस्ट फमोउस एश्वरिया राइ का मुकाबला करना आसन नही होता था लेकिन आज के समय में वोह नाम तो याद है लेकिन उस प्रसिद्दि के साथ नही वकत के साथ औडिएंस भी भूल जाती है

फिल्मो की होड़

गरीब बच्चे भी देश का भविष्य


आज देश में छोटे छोटे बच्चे बहुत ही तेजी से तरकी कर रहे है फ़िल्म में हो या जानकारी में creativity में आज बच्चों का जवाब नही है लेकिन इन सब कामों में केवल वही बच्चे आगे है जिन्हें यह सारी सुविधाएं प्राप्त है आज देश में ५० प्रतिशत बच्चे ऐसे है जिन्हें दो वकत का खाना भी ठीक से नही मिलता यह वह बच्चे है जो रोड पर भीक मांगते है मेरे सामने ही एक इस तरह का वाकिया हुआ एक बड़ी सी गाड़ी में भीक मांग रहे थे ध्यान से देखने पर पता चला की गाड़ी वाला खाने का सामान दे रहा है जिस बिस्कुट को थोड़ा सा खाकर पेट भर जाने पर वह बच्चो को दे रहे थे वह दृश्य बहुत ही दर्दनाक था क्यूँ रेड लिघत ऑफ़ होने और ग्रीन सिग्नल हो जाने पर गाड़ी चल पड़ी वो बच्चे उस गाड़ी से चिपके हुए थे शायद कुछ लोगो के लिए आम बात है लेकिन जिस ठण्ड के मौसम हम लोग ढेर सरे स्वेटर पहनते है वही वो बिना कपड़ो के रहते है ऐसा क्यूँ जहाँ हम बच्चो को भविष्य मानते है क्या वो हमारे देश का भविष्य नही क्या उन बच्चो की पड़ने और जीवन में सुधार की कोई लालसा नही राजनेता विकास का काम कर रहे है देश को आगे बड़ा रहे है क्या वह इन बच्चो के भविष्य को आगे नही बङाएंगे

समय तो बदला लेकिन स्थिति नही

समय बदला लेकिन स्थिति नही

आज समय बदल गया है प्रत्येक देश में लड़की आसमान की ऊँचाइयों को छू रही है जिस देश में महिलों को देवी मन जाता था आज वह की औरते दिन बी दिन तरकी कर रही है वही एक लड़की के साथ बलात्कार किया जाता है उसे ब्लाक्क्मैल कर कर उसका शोषण किया जाता है उसकी सुरक्षा की कोई गारंटी आज की डेट में नही रही छोटे छोटे बचियों के साथ इस तरह का दुष्कर्म करते हुए एक बार भी उनकी मानवता नही जागती देश में लड़की को मात्र एक वास्तु समझकर उसके अधिकारों का हनन करते है शादी के बाद भी आज भी कई लड़कियों को जलाया जाता है या फिर अपने ही घर से निकल दिया जाता है किसी लड़की के साथ हुए बलात्कार बाद उसे ऐसी दृष्टि से देखा जाता है जैसे उसने ही कोई पाप किया पिछले साल ऐसे ही कई हादसे हुए जिसमे आज तक दोषियों को पुलिस नही पकड पाई ऐसे ही कई केस है जिसमे स्वयम पुलिस कर्मी ही जिम्मेदार थे लेकिन कहा और किस हद तक उन पर कार्यवाही हुई शायद यही कारन है की आज तक कई केस पेंडिंग पड़े है इसी कारन अपराधी भी इस तरह के कामो को करने में नही डरते थे आज भी औरतो की स्थिति को कोई भी नही बदल सकता औरतो के हक की मांग सालों से चल रही है और पता नही कई समय तक चलती रहेगी

आज भी असुरक्षित


Saturday, January 10, 2009

ट्रांसपोर्ट हड़ताल


ट्रांसपोर्ट तेल की हड़ताल ने इन दिनों लोगो जनता को खास परेशान कर रखा था ट्रांसपोर्ट की हड़ताल के कारन कोई भी सामान डेल्ही से बाहर का यहाँ नही आ पा रहा था इसके चलते कीमतों में बढोतरी हो रही है सब्जी के दाम बड़ते ही जा रहे है ऐसे में जहाँ एक ओर तो वैश्विक मंदी है तो दूसरी ओर आतंकी गतिविधियाँ इसके साथ ट्रांसपोर्ट की हड़ताल ने इसे बढावा दिया है आख़िर कहा से एक आम आदमी इस महंगाई से कैसे निपट पायेगा तेल की किलत के कारन ट्रैफिक की समस्या उत्पन हुई है इसके चलते लोगो को भिन्नं समस्या का सामना करना पड़ा पेट्रोल पम्प के आगे लम्बी लाइन लगी हुई थी जिसने काफी समय तक ट्रैफिक को रोक रखा था इसके चलते लोगो को काफी समय तक परेशानी का सामना करना पड़ा इससे क्या उन लोगो को कोई फर्क नही पड़ा क्या उन्होंने नही देखा की लोगो इस हड़ताल से कैसे परेशान हुए अपने लिए किसी चीज़ की सुविधा के लिए मांगना और उसी से हजारो लोगो को परेशान करना किस हद तक सही है

२००८ से २००९ तक

२००८ ख़तम हो गया और हमने २००९ में कदम भी रख दिया २००८ में कई मुश्किलों का हमने सामना किया पहले बिहार की बाढ़ फिर निरंतर बनी हुई समस्या आतंकवाद विश्व आर्थिक मंदी यह तो मुख्य समस्या है जो बनी रही लेकिन इसके साथ ऐसी कई समस्या है जिसने लोगो की नींदे उडा रखी है राष्ट्रीय रूप के साथ आज आतंरिक सुरक्षा पर भी प्रशन चिहन बन गया है आज देश की मेट्रोसिटी एसा आज कोई भी सुरक्षित नही है जहाँ देखो वहाँ लूटपाट की जा रही है लोगो को मारा जा रहा है चाहे वोहब्लू लाइन बस के द्वारा हो या बाइकर्स गैंग का आतंक हो इसमे जान केवल बेह्गुन्हः लोगो की जाती है महिलाओं की सुरक्षा पर भी एक प्रश्न चिह्न बना रहा इन सब घटनाओं से अभी निजात नही मिला था की २६/११ की घटना ने लोगो की नींदे उड़ा दी पूरे देश में इसके कारन एक आतंक का महल बन गया भारत पाक युद्ध की संभावना बन गयी इन स्थितियों का अभी अंत भी नही हुआ था की साल के प्रारम्भ में dda ghotale ने सरकारी vayvastha पर ही प्रश्न चिह्न लगा दिया यह ऐसी समस्या है जो साल bhar देश में बनी रही और आगे इनसे इतनी जल्दी निजात नही paya जा सकता

Sunday, January 4, 2009

रियलिटी शो की चमक

आज टीवी क सभी चैनल रियलिटी शो के आधार पर ही चल रहे है कोई भी ऐसा चैनल नही है जिसमे रियलिटी शो का नाम न हो इन रियलिटी शो की भाषा पर विचार करना भी आवश्यक हो गया है हालही में हिंदुस्तान रीमिक्स पर इसी को लेकर एक लेख भी आया था जिसमे रियलिटी शो की भाषा पर ही विचार किया गया समाचारपत्र और न्यूज़ चंनल में इस तरह की भाषा यदि समाज पर ग़लत प्रभाव डालेगी तो एन्तेर्तैन्मेंट चैनल पर चलने वाले इस तरह क शो का क्या कोई विपरीत प्रभाव समाज पर नही पड़ेगा यह एक प्रशन हमारे समक्ष खड़ा है क्या इस तरह की भाषा से आचार सहित का उल्ल्हंघन नही होता

कोमन वेअल्थ गमेस 2010

२०१० में आने वाले कोमन वेअल्थ गमेस की तयारी चल रही है सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में बन रहे स्टेडियम पर लगभग २०० करोड़ खर्च हो रहे है लेकिन इन गमेस के कारन कई पेडो को काटा जा रहा है इस पर कोई विचार नही किया जा रहा है आज प्रदुषण एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है वहा पेडो की कटाई कहा तक सही है क्या इस पर कियो विकल्प निकला जा रहा है की किस तरह इस नुकसान की भर पाई की जायेगी पेडो की निरंतर कटाई का असर ही पर्यावरण पर पड़ता है आज इसे ठण्ड के सन्दर्भ में देखा जा सकता है जहाँ २५ दिसम्बर तक ठण्ड का नाम नही था वही आज प्रतिशत तक पहुच गयी है केवल कोमन वेअल्थ गमेस ही नही विकास के कार्य फ्ल्योवर मेट्रो के नाम पर भी कई पेडो की कटाई की गयी आख़िर कौन इसकी भरपाई करेगा यदि इस पर आज विचार नही किया गया तो भविष्य में ज़रूर इसका असर दिखाई देगा