Thursday, January 15, 2009

भाषा की राजनीती


मुंबई एक जाना मन शहर है । सपनो की नगरी कहा जाने वाला शहर है । और मुंबई से भी पहले है हमारा देश जहा पर लाखो संस्कृति और सभ्यता का गहरा मेल देखने को मिलता है । इस बहु संस्कृति और सभ्यता के देश में अगर कोई राज्य यह कहाकी यहाँ पर किसी विशेष भाषा के व्यक्ति को आने का ही हक है तो तो यह क्या है हाल ही में मुंबई में मराठी भाषा vs हिन्दी भाषा का झगडा छेड़ दिया है पहले तो सिर्फ़ यही था की केवल मराठी भाषी को ही बड़ी अधिकारी की नौकरी करने का हक है अब एक और मुसीबत आ गयी है की मुंबई में केवल मराठी लोगो को ही घर लेने का अधिकार है इस तरह की सोच क्या सही है पहली प्रेफेरंस मराठियों को तो समझा जाना सकता है लेकिन केवल मराठियों के लिए इस तरह की भावना देश की ही अखंडता और एकता को चोट पहुचता है इस देश में सभी को यहाँ काम करने का घर लेने का हक है यही तो लोकतंत्र है इसकी अवमानना करना क्या सही है

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